नई दिल्ली। साल 2020 के अब तक के महीने पूरी दुनिया के लिए फीके रहे हैं। कोरोना की वैक्सीन आने तक शायद एक लंबा वक्त, हमें इसी तरह सावधानी और न्यू नॉर्मल को अपनाते हुए गुज़ारना होगा ! इसका मतलब है न कोई पार्टी, न ज्यादा रिश्तेदारों से मेल-जोल, न दोस्तों के साथ तफरी, न वीकेंड वाली आउटिंग, और न ही कोई वेकेशन प्लान ! ये सब कुछ वाकई बहुत मायूस करने वाला है। लेकिन धीर-धीरे पूरी दुनिया दोबारा खड़ी होने की कोशिश कर रही है। इस हकीकत का सामना करते हुए ज़िंदगी की गाड़ी को दोबारा पटरी पर लाने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। महामारी तो सच्चाई है, जिससे हम सभी जूझ रहे हैं। इस दौर में चीज़ें मुश्किल भले हों, पर नामुमकिन नहीं हैं। भला क्यों इस महामारी के कारण ज़िंदगी का मज़ा फीका होने दें? हम सभी काम कर सकते हैं, बस इनका तरीका थोड़ा बदलना होगा।
अपना रूटीन बदलें
ऐसे वक्त में जबकि सब कुछ ठहरा हुआ सा लग रहा है तो अपनी ज़िंदगी को पुराने रूटीन पर चलाते रहना आपको काफी उदासी भरा लग सकता है। ज़रूरी है कि इसमें कुछ बदलाव किया जाए. अपने 9 से 5 के जीवन को फिलहाल थोड़ा ब्रेक दें। जिम नहीं जा सकते तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए घर पर ही थोड़ी एक्सरसाइज़ और योग करें। मानसिक शांति के लिए ध्यान करें। अपनी पसंद की किताब या नॉवेल पढ़ें। वो चीज़ें सीखें, जो आप हमेशा से करना चाहते थे, लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला। आर्ट,क्राफ्ट, कुकिंग, गार्डनिंग जो आपका जी चाहे वो सब करें, समय की कोई पाबंदी नहीं।
चाहिए तो बस आपकी इच्छा शक्ति। डिनर टाइम को फैमिली टाइम बनाइए। कोशिश करिए कि सभी सदस्य साथ मिलकर खाना खाएं। वीकेंड्स पर अब घूमना -फिरना नहीं तो क्या हुआ इसे फैमिली टाइम बनाइए। अंताक्षरी, कैरम, लूडो, सांप-सीढ़ी, बैडमिंटन और लॉन वाले फैमिली क्रिकेट को अपने पूरे परिवार के साथ एन्जॉय करिए और चाहें तो वीडियो कॉल पर दोस्तों और रिश्तेदारों को भी जोड़ लीजिए।
रिश्तेदारों और दोस्तों से संपर्क
दिल्ली वाली बुआ, पटियाला वाले ताऊ, बरेली वाले मामा, कानपुर वाली मौसी, दीदी या अमेरिका वाले चाचा, चाहे जो भी रिश्तेदार हों। आप इन सभी से निजी तौर पर मिल भले ही न पाएं। लेकिन वीडियो कॉलिंग और किफायती डेटा रेट्स के ज़माने में वीडियो कॉल्स पर इन्हें देख भी सकते हैं और जी भर के बातें भी कर सकते हैं।
और अब तो ग्रुप कॉलिंग का ज़माना है भई। चाहे किसी का बर्थडे हो, ऐनिवर्सरी हो, या कोई तीज- त्योहार. बस सभी रिश्तेदारों का एक ग्रुप बनाइये और वर्चुअल फैमिली गेदरिंग करके हर मौके का जश्न साथ मनाइये। और कुछ नहीं तो पुरानी यादों को ही ताज़ा करिए। अगले साल के लिए मिलकर प्लान्स बनाइए. आखिर उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है।
त्योहार वाली सफाई
इस साल तो अब तक के सभी त्योहार भी बेरंग ही निकल गए हैं। एक बार फिर त्योहार का मौसम नज़दीक है। अमूमन ये मौका ज्यादातर लोगों के लिए घरों से बेकार सामान हटाने और दीवारों-खिड़कियों पर लगे जाले साफ करने का होता है। लेकिन इस बार इस सफाई को थोड़ा और आगे ले जाइए। घर और दीवारों से सिर्फ धूल-मिट्टी और जाले नहीं बल्कि पुराना रंग भी हटाइए। लॉकडाउन के इन महीनों में वैसे भी उन्हीं पुरानी दीवारों को देख- देख कर जी ऊब गया होगा। तो फीके माहौल और मूड में थोड़ी जान डालने के लिए, घर और दीवारों को शाइन वाले, टिकाऊ रंगों से रंगवाइए। अब आप सोचेंगे इतना खर्च कौन करे। तो जनाब, एशियन पेन्ट्स का ट्रैक्टर इमल्शन शाइन आपकी दीवारों को बेहतरीन शाइन देगा वो भी आपके बजट में। और तो और, आपको मिलेगी लोगों की वाह- वाह !
पर्दे, फर्नीचर और थोड़ी सी हरियाली
घर के पर्दे बदलवाइए. हर बार फर्नीचर बदलना तो मुश्किल होता है, लेकिन उनकी जगह तो बदली जा ही सकती है। वास्तुशास्त्र के मुताबिक- घर में चीज़ों की जगह बदलकर, उन्हें सही जगह रखने से भी घर में नयापन और सकारात्मकता लाई जा सकती है। इसके अलावा पौधे या इनडोर प्लांट्स घर में रखिए.इन दिनों घरों में, हवा को शुद्ध करने वाले इनडोर एयर प्योरिफाइंग प्लांट्स काफी चलन में हैं। घर में पौधे रखने से ताज़ेपन के साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है।
यादों वाली दीवार
घर का कोई कोना अगर खूबसूरत यादों के नाम न हो तो थोड़ा अजीब लगता है। फोटो फ्रेम्स और फोटोज़ इसीलिए तो होते हैं। चाहे पारंपरिक फ्रेम हों या मॉर्डन, लाइट वाले फ्रेम हों या धागों से लटकती तस्वीरों वाला फ्रेम, हर वेरायटी के फ्रेम बड़ी आसानी से हर जगह मिल जाते हैं। तो जैसे चाहें उस अंदाज़ में अपनी तस्वीरें सजाइए और यादों वाली दीवार बनाइए।
इस महामारी ने भले ही ज़िंदगी का मज़ा फीका कर दिया है। लेकिन ये छोटे- छोटे कदम इस काम में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो इस त्योहार अपने घर और दीवारों के साथ, ज़िंदगी की रौनक भी वापस लाइए और लॉकडाउन वाली बोरियत को दूर भगाइये।