नई दिल्ली। सनातन परंपरा में शक्ति की साधना का बहुत महत्व है। अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि (Navratri) शुरू होती हैं। इस साल शक्ति की साधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर 2021 से प्रारंभ होकर 15 अक्टूबर 2021 तक मनाई जाएगी। इस बार यह सुखद संयोग है कि नवरात्रि का प्रारंभ गुरुवार से होकर इसका समापन भी गुरुवार के दिन ही हो रहा है। ऐसे में मां भगवती के उपासकों ने अभी से देवी की पूजा की तैयारी शुरु कर दी है। मां की कृपा पाने के लिए यह समय बहुत अहम होता है। इस दौरान किए गए उपाय तो बहुत फल देते ही हैं लेकिन नवरात्रि शुरू होने से पहले किए गए कुछ काम भी व्यक्ति को धनवान बनाते हैं। आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाले नवरात्रि महापर्व में इस बार आप देवी दुर्गा को प्रतिदिन किस चीज का भोग लगाएं ताकि आपको सभी प्रकार के सुख, धन और वैभव की प्राप्ति हो, आइए जानें देवी के नवरूप व पूजन से क्या फल मिलते हैं।
1. शैलपुत्री
माँ दुर्गा का प्रथम रूप है शैलपुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। नवरात्र की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धनधान्य से परिपूर्ण रहते हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन यानि की प्रतिपदा को देवी की साधना हमेशा गौ घृत से षोडशोपचार पूजा करें और माता को गाय का घी अर्पण करें। माता की पूजा में गाय का घी चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विशेष रूप से आरोग्य लाभ होता है।
2. ब्रह्मचारिणी
माँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है। नवरात्रि में शक्ति की साधना करते हुए द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाकर उसका विशेष रूप से दान करना चाहिए। मान्याता है कि इस दिन शक्कर का दान करने से आयु बढ़ती है।
3. चंद्रघंटा
माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है, आकर्षण बढ़ता है। नवरात्रि की तृतीया तिथि के दिन दूध की प्रधानता होती है। ऐसे में मां भगवती की पूजा में विशेष रूप से दूध का उपयोग करें और उसके बाद उस दूध को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। मान्यता है कि दूध का दान दुःखों से मुक्ति का परम साधन है।
4. कुष्मांडा
चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।
नवरात्रि में चतुर्थी तिथि को देवी की पूजा में विशेष रूप से मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद इसे किसी सुयोग्य बाह्मण को दान कर दें। मान्यता है कि इस दिन मालपुआ का दान करने से बुद्धि बल बढ़ता है।
5. स्कंदमाता
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन आपकी उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।
नवरात्रि में पंचमी तिथि के दिन शक्ति की साधना करते हुए देवी भगवती को केले का नैवेद्य चढ़ावें और यह प्रसाद किसी ब्राह्मण को दान करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से विवेक बढ़ता है और निर्णय शक्ति में असाधारण विकास होता है।
6. कात्यायनी
माँ का छठा रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन माता को शहद चढ़ाने का विशेष महत्व है। इस दिन शक्ति की साधना में शहद चढ़ाकर उसे किसी ब्राह्मण को दान करने से व्यक्ति का सौंदर्य एवं आकर्षण बढ़ता है और समाज में उसका खूब नाम होता है।
7. कालरात्रि
नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है।
सप्तमी तिथि के दिन माता को विशेष रूप से गुड़ का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। इस दिन माता को गुड़ चढ़कार किसी ब्राह्मण को दान करने से जीवन से जुड़े सभी शोक, रोग दूर होते हैं और आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है।
8. महागौरी
देवी का आठवाँ रूप माँ गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर कांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है, शत्रु-शमन होता है। अष्टमी तिथि को भगवती को नारियल का भोग अवश्य लगाना चाहिए। इस उपाय को करने से सभी प्रकार के पाप और पीड़ा का शमन होता है।
9. सिद्धिदात्री
माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्र की नवमी के दिन की जाती है। इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में नवमी तिथि के दिन माता की पूजा धान के लावा से करना चाहिए। इसके बाद इस धान को किसी ब्राह्मण को दान करने से साधक को लोक–परलोक का सुख प्राप्त होता है।
नवरात्रि में दशमी की पूजा का उपाय
नवरात्रि में दशमी तिथि के दिन माता को काले तिल का नैवेद्य का अर्पण करने से जीवन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है और ज्ञात–अज्ञात शत्रुओं का नाश होता है। अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर कुछ तो माँ की कृपा का पात्र बनता ही है। वाकसिद्धि व शत्रु नाश हेतु मंत्र भी बता दें। इनका विधि-विधान से पूजन-जाप करने से निश्चित फल मिलता है।
शत्रु नाश हेतु :- ॐ ह्रीं बगुलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हामकीलय बुद्धिविनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।
वाकसिद्धि हेतु :- ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम: ॐ वद बाग्वादिनि स्वाहा।
घट स्थापना मुहूर्त :7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक ।
अभिजीत मुहूर्त : 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के बीच है।
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