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Thursday, May 16, 2024

Science News: धरती की ओर बढ़ रहा है एफिल टॉवर से भी बड़ा Asteroid

नई दिल्ली: पृथ्वी (Earth) की तरफ फ्रांस (France) के एफिल टॉवर से भी लंबा ऐस्टरॉयड (Asteroid) बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस ऐस्टरॉइड को इस सप्ताह के अंदर में पृथ्वी के बेहद करीब पहुंचने की संभावना है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘NASA’ ने भी इस एस्टरॉइड को संभावित रूप से काफ़ी खतरनाक बताया है। इस ऐस्टरॉइड का नाम 4660 Nereus रखा गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि – यह ऐस्टरॉइड के 11 दिसंबर को धरती की कक्षा से गुजरने की संभावना है। जबकि, यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश नहीं कर सकता है।

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने बताया कि – 4660 Nereus ऐस्टरॉइड का व्यार 330 मीटर से ज़्यादा है। यह ऐस्टराइड तक़रीबन 3.9 मिलियन किलो मीटर की दूरी पर धरती से संपर्क कर सकता है। इस ऐस्टरॉइड से हमारी पृथ्वी को कोई तत्काल खतरा नहीं है। इस ऐस्टरॉइड का पूर्ण परिमाण 18.4 है। अंतरिक्ष एजेंसी नासा 22 से कम परिमाण वाले ऐस्टरॉइड्स को संभावित रूप से खतरनाक घोषित कर सकती है।

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ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूर्य के चक्कर काटती हैं। लेकिन, ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में अधिकतर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूर्य का चक्कर काटते हैं। तक़रीबन 4.5 अरब वर्ष पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए है। यही कारण है कि – इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।

अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के पृथ्वी से 46.5 लाख मील से नजदीक आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 वर्षों के लिए अभी तक 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके धरती से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।

धरती के वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें या ऐस्‍टरॉइड टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में पृथ्वी से दिखाई देती हैं। अधिक बड़ा आकार होने पर यह पृथ्वी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, किन्तु छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता। तो वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि पृथ्वी का अधिकतर हिस्से पर जल ही मौजूद है।

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Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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