नई दिल्ली। देश तो खतरे में है ही, परंतु देश की राजधानी दिल्ली (India Capital Delhi) पर खतरा ज्यादा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में विशेषश्रों का मनना है कि दिल्ली (Delhi) के ऊपर कई सारी खतरनाक वैरिएंट घुम रहे है। जो कि फिर से किसी खतरें का संकेत है। इसके अलावा कोरोना की तीसरी लहर की खबरें सामने आ रही है। और साथ में अभी पूरी तरह से कोरोना की दूसरी लहर खत्म तक नहीं हुई है। तो ऐसे में दिल्ली के लिए चिंता का विषय है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के अलग-अलग वैरिएंट के कारण ही संक्रमण इतना अधिक फैलता है। फिलहाल वारयस काबू में है, लेकिन अगले खतरे से बचने के लिए कोरोना के नियमों, टीकाकरण और जीनोम सीक्वेंसिंग को बढ़ाना होगा। और अगर दूसरी तरफ हम देखें तो केंद्र सरकार के मुताबिक, जून तक दिल्ली से लिए गए सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग में 2973 में गंभीर वैरिएंट मिल चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 2261 में डेल्टा वैरिएंट, 685 में एल्फा और 27 में बीटा मिला है। इस तरह से तो लिहाजा, कुल सैंपलों में से 75 फीसदी में डेल्टा वैरिएंट मिला। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह किस तरह दिल्ली में फैला हुआ है।
और इस दौरान एक बड़ी बात सामने आई है कि विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में दूसरी लहर इतनी खतरनाक इसलिए साबित हुई थी कि काफी लोग डेल्टा की चपेट में आए थे। दिसंबर 2020 में देश में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीज मिला था, जिसके बाद अब तक यह 174 जिलों तक पहुंच गया है।
इसमें दिल्ली भी शामिल है। अब इस वैरिएंट के साथ डेल्टा पल्स का खतरा बना हुआ है। हालांकि, इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी है। यदि यहां इस वैरिएंट का कोई मामला आता भी है तो उसकी रोकथाम के लिए पर्याप्त इतजाम किए गए हैं। वहीं इन सबको देखते हुए, अलग लोगों के बीच चिंता का माहौल तो देखने को मिल रहा है।
परंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट को अगर फैलने से रोकना है तो इसके लिए वैक्सीन के साथ-साथ मास्क और दो गज दूरी जैसे कदम भी उठाने होंगे। संगठन का कहना है कि वैक्सीनेशन के साथ-साथ मास्क भी बहुत जरूरी है। क्योंकि, डेल्टा के खिलाफ सिर्फ वैक्सीन असरदार नहीं है।