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Wednesday, April 24, 2024

अकाली दल का बड़ा ऐलान, पंजाब में सरकार बनी तो किसान आंदोलन में मारे गए …

नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों (Agricultural laws) को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान कृषि काननू को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इस आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान भी चली गई। अब पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव (Assembly elections) है, ऐसे में किसानों को खुश करने लिए राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी दाव खेल रही है। इस बीच आज अकाली दल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर पंजाब में सरकार बनी तो किसान आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देंगे।

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कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में

बता दें कि कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में ही देखने को मिला था। पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को करीब तीन पन्ने की चिट्ठी लिखते हुए कृषि कानूनों का विरोध किया, किसानों पर एक्शन की निंदा की और इसी के साथ अपना सम्मान वापस दिया। इसके अलावा अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढींढसा अभी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटा दिया था। प्रकाश सिंह बादल से पहले एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री और अकाली दल के नेता हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था। कौर ने इस्तीफा देते हुए मोदी सरकार पर हमला किया था और कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ छल किया है, साथ ही उन्होंने कहा आगामी चुनाव में अकाली दल पंजाब में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने की बात कही थी।

पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को करीब तीन पन्ने की चिट्ठी लिखते हुए कृषि कानूनों का विरोध किया, किसानों पर एक्शन की निंदा की और इसी के साथ अपना सम्मान वापस दिया। इसके अलावा अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढींढसा अभी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटा दिया था

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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दी थी आंदोलन को हवा

नए कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में देखने को मिला था। तब उस समय पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने किसानों के समर्थन में जंतर-मंतर पर आकर धरना भी दिया था। इस दौरान अमरिंदर सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकत से दूर है। केंद सरकार किसानों के साथ गलत कर रही है। तब उस किसानों को लगा आंदोलन को सही दिशा राजधानी दिल्ली से ही मिलेगी। इसके बाद क्या था धीरे-धीरे किसानों का दिल्ली के बॉडरों पर आना शुरू हो गया।

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किसान अपनी मांगो को लेकर अड़े

बता दें तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले एक साल से भी ऊपर समय से चल रहा है। किसानों और सरकार के बीच कई बैठके हुई लेकिन सारी बैठके बेनतीजा रही है। किसानों का कहना है कि सरकार को तीनों नए कानून वापस लेने होंगे, साथ ही MSP पर गारंटी देनी होगी। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को पास किया, उसका लंबे वक्त से विरोध हो रहा था। इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास जा पहुंचा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने बुधावार को किसान आंदोलन को लेकर चिंता जताई है। वहीं सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह गतिरोध समाप्त होगा।

Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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