नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के पांडव नगर थाना में एक बार फिर मौत हुई है। इस बार थाने में तैनात होमगार्ड ने पंखे से लटकर जान दे दी। अचानक से हुई इस खुदकुशी से थाने में हड़कंप मचा हुआ है। होमगार्ड बृजमोहन के परिवार वाले थाने पहुंचे, जहां उन लोगों ने बताया कि उनके घर में कोई परेशानी नहीं थी। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में एसएचओ के खिलाफ कारवाई करते हुए लाइन हाजिर कर दिया है और मामले की जांच के लिए आदेश दे दिया गया है।
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होमगार्ड ने थाने में की सुसाइड
लेकिन, सवाल तो यह है होमगार्ड ने थाने में ही सुसाइड क्यों की। मन में तब एक ही सवाल आता है या तो उनकी कुछ ऐसी परेशानी रही होगी, जिसके कारण बृजमोहन को खुदकुशी करनी पड़ी। ये परेशानी घरेलू भी हो सकती है और बाहरी भी हो सकती है या फिर बृजमोहन को थाने के किसी अधिकारी के व्यवहार से परेशान होंगे। फिलहाल पुलिस अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं और अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
हालांकि सवाल ये जरूर उठ रहा है कि आखिरकार पांडव नगर थाने में पिछले तीन महीने के भीतर दो पुलिस वालों ने सुसाइड क्यों कर ली। जून में एक सब इंस्पेक्टर राहुल सिंह ने भी अपने रिवाल्वर से गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। 2015 बैच के पुलिस सब इंस्पेक्टर राहुल सिंह ने थाने की छत पर खुद को गोली मारी, लेकिन, थाने के किसी स्टाफ को इसकी खबर नहीं लगी। राहुल की खुदकुशी मामले की जांच चल रही है, लेकिन, अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है।
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पुलिस की नौकरी में काफी प्रेशर होता
बता दें कि पुलिस की नौकरी में काफी प्रेशर होता है, यह प्रेशर कई तरीके की होती है, इसमें काम की अपनी परेशानी होती है और परिवार को संभालने की दूसरी परेशानी लेकिन, इन सबके बीच एक बड़ा प्रेशर अपने सीनियर अधिकारियों का होता है। उनके व्यवहार से जुनियर अधिकारियों या फिर पुलिस वालों को तकलीफ होती है और पांडव नगर थाने में जिस तरह से पिछले तीन महीनों में दो पुलिस वालों ने सुसाइड की है, उससे थाने के अधिकारियों के ऊपर भी सवाल उठने लगे हैं। वजह ये है कि दोनों पुलिस वालों ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा लेकिन, आत्महत्या के लिए थाने को ही चुना। अब थाने में सुसाइड करने के पीछे की वजह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
बहरहाल वरीय अधिकारियों को पुलिस सुधार के लिए भी एक और कमेटी बनाने की जरूरत है। ताकि, पुलिस अधिकारियों के ऊपर बढ़ते दबाव की जांच की जा सके और एक सुधार के लिए रिपोर्ट भी तैयार हो। जिसमें पुलिस के वर्किंग ऑवर से लेकर उनकी परिस्थितियों तक को ध्यान में रखा जाए। पुलिस के प्रेशर को कम करने के ऊपर अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो कानून और व्यवस्था बहाल करने वाले अपनी समस्याओं में इतने उलझे रहेंगे कि सही तरीके से कानून का पालन करना और कराना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।