नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने उत्तरी- पूर्वी दिल्ली (Delhi Riots) देंगे से जुड़ें एक मामले में अदालत ने जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्र आसिफ इकबाल तनहा और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्र देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जल्द से जल्द रिहा करने का आदेश दिया है। दिल्ली कि उच्च न्यायालय ने इन छात्रों को जमानत के दो दिन बाद ये फैसला सुनाया है।
बता दे इन्हें पिछले साल दिल्ली दंगों में गैरकानूनी गतिविधियों के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा 20 मई को गिरफ्तार किया गया था, साथ ही इन्हें पुलिस द्वारा पता और जमानतदारों कि पूर्ण जानकारी ना मिलने का हवाला दे कर रिहा नहीं किया जा रहा था। गौरतलब है कि उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए समुदायिक दंगों में इन छात्रों को मुख्य साजिशकर्ता होने रूप में गिरफ्तार किया गया था। बता दे उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दंगे भड़के थे जिस में 53 लोगों कि मौत हुई थी और 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
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कोर्ट ने क्या कहा ?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा था कि विरोध का अधिकार, मौलिक अधिकार है सरकार कि नीतियों का विरोध करना उसे ‘आतंकी गतिविधि’ करार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी कि छात्रा देवांगना कलिता को रिहा करने पर टिप्पणी की।
साथ ही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने छात्र कार्यकर्ताओं को 50 हजार रुपए के मुचकले और 50 हजार कि जमानत राशि देने को कोर्ट ने कहा।
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क्या था मामला ?
आपको बता दे कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून 2019 का विरोध राजधानी में जगह जगह हो रहा था। इसी विरोध प्रदर्शन कि कड़ी में 12 फरवरी 2020 को दिल्ली के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में दो समुदाय आमने सामने आ गए थे जिस के कारण उस प्रदर्शन में दंगे भड़के जिस में 53 लोगों कि मौत हुई थी और 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। बता दे इस विरोध को हिंसात्मक रूप देने के आरोप में इन तीन छात्रों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।