नई दिल्ली। अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से कई श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। जहां एक तरफ पानी के साथ कई टेंट बह चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ अभी भी कई श्रद्धालु वहां फंसे हुए हैं जिनकी तलाश जारी है।
लेकिन क्या आपको पता है कि ये पहली बार नहीं है जब अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले भी श्रद्धालु इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का शिकार बनते रहे हैं।
1969 में भी हो चुके है ऐसा ही एक हादसा
ना जाने कितने ही वर्षों से श्रद्धालु दर्शनों के लिए अमरनाथ यात्रा पर जाते रहे हैं। लेकिन इन बीते सालों में कई बार प्राकृतिक आपदाओं ने इस यात्रा और इसमें आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी चपेट में लिया। अगर हम बात करें वर्ष 1969 की तो उस वर्ष भी अमरनाथ गुफा के पास बादल फट गया था जिसकी वजह से करीबन 100 श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई थी। माना जाता है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आई ये पहली प्राकृतिक आपदा थी।
1996 में प्रकृति और इंसानों ने मिल कर ढाया कहर
वहीं अगर हम वर्ष 1996 की बात करते हैं तो उस वर्ष हुए हादसे की जिम्मेदार अकेले प्रकृति नहीं थी। जी हां, उस वर्ष अमरनाथ यात्रा के मार्ग और रास्ते इस काबिल नहीं थे कि उन्हें करीबन एक लाख लोगों के यात्रा के लिए इस्तेमाल किया जा सके। सबकुछ जानते हुए भी उस वर्ष ये यात्रा करवाई गई जिसमें करीबन 300 श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवा दी थी।
2010, 2015 और 2021 में भी गुफा के पास फट चुका है बादल
रिपोर्ट्स की मानें तो वर्ष 2010 में भी गुफा के पास बादल फट चुका है लेकिन उस दौरान किसी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा था। वहीं वर्ष 2015 की बात करें तो बालटाल आधार शिविर के पास बादल फटने से एक बड़ा हादसा हुआ था। इस हादसे में श्रद्धालुओं को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
इतना ही नहीं, इस हादसे के दौरान वहां मौजूद लंगरों के अस्थायी ढांचे पूरी तरह से टूट गए थे। इसके साथ ही इस हादसे में दो बच्चों समेत तीन श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई थी। पिछले वर्ष, यानी की 2021 में 28 जुलाई को भी गुफा के पास बादल फटने से 3 श्रद्धालु उसमें फंस गए थे जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।