नई दिल्ली। ओडिशा न केवल भगवान जगन्नाथ की पवित्र भूमि है, बल्कि यह अपनी पुरानी समृद्ध सांस्कृतिक प्रथा के लिए भी प्रसिद्ध है। उत्सव और धार्मिक अनुष्ठान हर ओडिया घराने की जीवनदायिनी हैं। सभी उत्सव सांस्कृतिक प्रथा के अनुसार बनाया जाता है । ओडिशा में प्रथमाष्टमी को एक प्रसिद्ध त्यौहारों माना जाता है ।
यह मार्गशीर्ष माह की अष्टमी को ओडिया पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। आठवें दिन कार्तिक पूर्णिमा के बाद बेहद ही शुभ अवसर माना जाता है। इस पवित्र दिन को सौभागिनीं अष्टमी, काल भैरव अष्टमी और पापनाशिनी अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
यह पूजा घर के बड़े बेटे की जीवन की समृद्धि और खुशाल जीवनजापान के लिए किया जाता है । यह पूजा घर की वरिष्ठ महिला सदस्य करते हैं । घर में मां और रिश्तेदारों द्वारा सबसे बड़े बच्चे(टा या बेटी) को आरती किया जाता है ,मामा इस पूजा की लिए सभी आवश्यक वस्तुओं को भेजते है। यह मुहरत मै भगवान गणेश, देवी षष्ठी देवी और परिवार के पीठासीन देवता की पूजा की जाती है।
ओडिशा की प्रमुख लोकप्रिय एंडुरी पीठा बनाया जाता है ,यह पीठा को बहुत पसंद किया जाता है । एंडुरी पीठा बनाने के लिए मुख्य सामग्री हल्दी के पत्ते, काले चने, चावल का आटा, नारियल, गुड़ और काली मिर्च शामिल हैं।
यह एक हल्का नाश्ता है और इसमें हल्दी के पत्तों के कारण रेचक प्रभाव होता है जो कि पीठा (पैनकेक) को लपेटने के लिए उपयोग किया जाता है। परंपरागत रूप से, एंडूरी पीठा बड़े मिट्टी के बर्तनों में भाप द्वारा तैयार किया जाता है।
पूरी श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ जी को “सकला धूप” (नाश्ते की रस्म) पूजा में एंडुरी पिठा चढ़ाया जाता है ।