नई दिल्ली: अगर आपके पास चंद्रमा (Moon) पर ‘परमाणु ऊर्जा संयंत्र’ (Nuclear Power Plants) लगाने के बारे में कोई अच्छा सुझाव है, तो आप ‘अमेरिकी सरकार’ (US Government) को इसके बारे में जानकारी दे सकते है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ (NASA) और देश की शीर्ष संघीय परमाणु अनुसंधान प्रयोगशाला ने आज ‘फिशन सर्फेस पावर सिस्टम’ (Fission Surface Power System) स्थापित करने के लिए प्रस्ताव देने का अनुमोदन किया हैं। यह प्रणाली ऊष्मा पैदा करने के लिए किसी संयंत्र में ‘यूरेनियम अणुओं’ को अलग करने का काम कर सकती है।
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नासा इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर अपने अभियानों के लिए ‘स्वतंत्र ऊर्जा स्रोत’ स्थापित करने के लिए अमेरिका के ऊर्जा विभाग के ‘इदाहो राष्ट्रीय प्रयोगशाला’ के साथ मिलकर काम कर रही है। ‘फिशन सर्फेस पावर प्रोजेक्ट’ के मुखिया सेबेस्टियन कोर्बिसिएरो ने एक बयान जारी करके कहा कि – ‘चंद्रमा पर विश्वसनीय, उच्च ऊर्जा तंत्र उपलब्ध कराना अंतरिक्ष में संभावनाएं तलाशने की दिशा में अहम कदम है और हमे इसे जल्द हासिल कर लेनी चाहिए।’
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यह संयंत्र धरती पर बनाया जा सकता हैं और फिर इसे चंद्रमा पर भेजा जा सकता हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के अपने अभियान के समय को आगे बढ़ा कर इसे 2025 कर दिया है। अंतरिक्ष एजेंसी नासा की, इससे पहले 2024 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की योजना बनाई गयी थी। नासा के प्रशासक बिल नीलसन ने इस अभियान में देरी के संबंध में घोषणा की हैं।
उन्होंने कहा कि – कांग्रेस ने उनके चंद्रमा के लिए अभियान में ‘लैंडिग सिस्टम’ विकसित करने के लिए पर्याप्त पैसे मुहैया नहीं कराया हैं। इसके अतिरिक्त ‘जेफ बेजोस’ की रॉकेट कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ की तरफ से कानूनी चुनौतियों की वजह से भी कार्य में व्यवधान हुआ हैं। नीलसन ने कहा कि – नासा का अगले साल फरवरी में अपने चंद्रमा रॉकेट ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम’ या एसएलएस की पहली परीक्षण उड़ान का लक्ष्य रखा है। इसमें कोई भी सवार नहीं होगा।
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