नई दिल्ली: बांग्लादेश (BanglaDesh) में Hindu विरोधी हालिया घटनाओं से क्रुद्ध मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन (Tasleema Nasrin) ने कहा है कि उनका देश अब ‘जिहादिस्तान’ बनता जा रहा है जहां सरकार (Government) अपने सियासी फायदे के लिये Religion इस्तेमाल कर रही है और मदरसे कट्टरपंथी पैदा करने में लगे हैं । बांग्लादेश (BanglaDesh) से 28 वर्ष पहले निष्कासित लेखिका ने भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा ,‘‘ मैं अब इसे बांग्लादेश नहीं कहती । यह जिहादिस्तान (Zihadistaan) बनता जा रहा है । सभी सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिये धर्म का इस्तेमाल किया । उन्होंने इस्लाम (Islam) को राजधर्म बना दिया जिससे वहां Hindu और बौद्धों की स्थिति दयनीय हो गई है ।’’
पिछले सप्ताह बांग्लादेश में, कोमिला इलाके में दुर्गापूजा के एक पंडाल में कथित ईशङ्क्षनदा के बाद Hindu मंदिरों पर हमले किए गए और कोमिला, चांदपुर, चटगांव, कॉक्स बाजार, बंदरबन, मौलवीबाजार, गाजीपुर, फेनी सहित कई जिलों में पुलिस और हमलावरों के बीच संघर्ष हुआ। हमलावरों के एक समूह ने रंगपुर जिले के पीरगंज गांव में Hindus के करीब 29 घरों में आग लगा दी । अपने लेखन के कारण हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं तसलीमा ने कहा कि Hindu विरोधी भाव बांग्लादेश में नया नहीं है और यह हैरानी की बात है कि इसके बावजूद दुर्गापूजा के दौरान Hindu अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का प्रबंध नहीं किया गया ।
‘थोड़ी सी ही तो पी है, क्या हुआ..सबके बच्चे पीते हैं’
उन्होंने कहा ,‘‘ प्रधानमंत्री शेख हसीना को बखूबी पता है कि दुर्गापूजा के समय हमेशा Hindu पर जिहादियों के हमले का खतरा रहता है तो उनकी सुरक्षा के उपाय क्यों नहीं किये गए ?’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि अब दहशत के कारण बचे खुचे Hindus भी वहां नहीं रहेंगे । सरकार चाहती तो उनकी रक्षा कर सकती थी । यह Hindu विरोधी मानसिकता Problematic है । विभाजन के समय वहां 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे जो अब घटकर नौ प्रतिशत रह गए हैं तथा आने वाले समय में और कम होंगे ।’’ तसलीमा को 1993 में उनके र्चिचत उपन्यास ‘लज्जा’ के प्रकाशन के बाद बांग्लादेश से निष्कासित कर दिया गया था । भारत में 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बांग्लादेश में Hindu विरोधी दंगों की पृष्ठभूमि में उन्होंने ‘लज्जा’ लिखी थी। उन्होंने कहा ,‘‘ मैने 1993 में लज्जा लिखी, जिसकी कहानी एक ङ्क्षहदू परिवार पर केंद्रित थी जो कट्टरपंथी ङ्क्षहसा के बाद देश छोडऩे को मजबूर हो गया था । ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ 1993 की बात है , यह सिलसिला लगातार चला आ रहा है ।
मुस्लिम चाहते हैं कि Hindu बांग्लादेश छोड़ दें ताकि वे उनकी जमीन हथिया सकें ।’’ तसलीमा ने बेशुमार संख्या में मदरसों और मस्जिदों के निर्माण का विरोध करते हुए कहा ,‘‘ बांग्लादेश में बेवजह इतनी मस्जिद और मदरसे बनाये जा रहे हैं । मजहबी उपदेशों की वाज महफिलों का भी चलन बढ़ गया है जो अनपढ़ गरीबों को इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथी बना रही हैं । कुरान अरबी में है और हर कोई पढ़ नहीं सकता लिहाजा ये कट्टरपंथी अपने हिसाब से उसकी व्याख्या करते हैं । ऐसे में जब कुरान की Criticsm की अफवाह फैलती है तो ये लोग मारने पर उतारू हो जाते हैं ।’’ तसलीमा ने कहा ,‘‘ आप देश को क्या बनाना चाहते हैं ? दूसरा तालिबान ? सारी आॢथक प्रगति बेकार है अगर दिमाग में ऐसा जहर भरा जा रहा है । इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है लेकिन वहां इसकी शिक्षा दी ही नहीं जा रही ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैं पूरे जीवन कट्टरपंथियों के निशाने पर रही क्योंकि मैंने महिलाओं और मानवाधिकार के मसले पर लिखा । मुझे मेरे देश से 28 साल पहले निकाल दिया गया और किसी सरकार ने मुझे दोबारा आने नहीं दिया ।
लज्जा आज तक वहां प्रतिबंधित है और किसी ने इसका विरोध भी नहीं किया। मुझे बहुत दुख होता है ।’’ तसलीमा ने कहा कि सरकार को मदरसों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिये और धर्म को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिये । उन्होंने कहा ,‘‘ सरकार को मदरसों पर पूरा नियंत्रण रखना चाहिये । इसके अलावा बच्चों को धर्मनिरपेक्ष स्कूलों में भेजना चाहिये ताकि उनके दिमाग में इस्लाम और कुरान को लेकर कट्टरवाद पैदा ना हो और वे दूसरों के धर्म का भी सम्मान करना सीखें ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ राजनीति को धर्म से अलग रखना जरूरी है । Hindu दुकानों, घरों या मंदिरों में आग लगाने वाले लोग अकेले दोषी नहीं है । सरकारों ने इतने साल वोट बैंक की राजनीति के लिये उन्हें ऐसा करने का आधार दिया । इस पर रोक लगनी चाहिये । यह अच्छी बात है कि चटगांव में इस Violence के विरोध में रैली में इतनी बड़ी तादाद में लोगों ने भाग लिया जिनमें मुस्लिम भी थे । इसका बड़ा श्रेय सोशल मीडिया को जाता है।