नई दिल्ली। हर साल मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। क्योंकि भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और शिव का अवतार माना जाता है. इस दिन भगवान के प्रवचन वाली अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता जैसी पवित्र पुस्तकें पढ़ी जाती हैं… बता दें हिंदुओं का एक त्योहार है, जिसे भगवान दत्तात्रेय के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
भगवान दत्तात्रेय, महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र थे और उनका जन्म प्रदोष काल में हुआ था. भगवान दत्तात्रेय को ”स्मृतिमात्रानुगन्ता” और ”स्मर्तृगामी” भी कहा जाता है क्योंकि वह स्मरणमात्र करने पर ही अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं. माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी।
कब मनाते है दत्तात्रेय जंयती ?
दत्तात्रेय जंयती हिंदू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष (अग्रहायण) महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सती अनुसूया के पुत्र दत्तात्रेय का जन्म प्रदोष काल में हुआ था। साल 2020 में दत्तात्रेय जयंती मंगलवार 29 दिसंबर को मनाई जा रही है। भगवान दत्तात्रेय को समर्पित मंदिर पूरे भारत में हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पूजा स्थल कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में स्थित हैं।
दत्तात्रेय जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 29 दिसंबर 2020 को सुबह 07 बजकर 54 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 30 दिसंबर 2020 को सुबह 08 बजकर 57 मिनट
• भगवान दत्तात्रेय की जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लेना चाहिए.
• पूजा करने के स्थान को सबसे पहले साफ कर गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद उस स्थान पर एक चौकी रख कर उस पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर रखकर और उस पर फूल-माला चढ़ाकर पूजा करना चाहिए।
• भगवान दत्तात्रेय के साथ ही साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।
• पूजा करने के बाद श्री दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए.ऐसा करने से भगवान दत्तात्रेय अपने भक्त के ऊपर प्रसन्न होते हैं और भक्त के कष्ट दूर करते हैं।