नई दिल्ली। एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वर्ष खत्म होने के करीब है। ऐसे में सामने आए उतार-चढ़ाव, रिकवरी और अवसरों का आकलन करना महत्वपूर्ण हैं, जो 2021 में सामने आ सकते हैं। कोविड-19 महामारी का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा है। औद्योगिक उत्पादन कम हुआ है, आयात कम हुआ है, कच्चे तेल की खपत भी कम हुई है। इसी तरह के कई डेवलपमेंट्स हुए हैं। इसने 2020 की पहली तिमाही में शेयर बाजार को रसातल पर पहुंचा दिया था।
कोरोनोवायरस ने कहर बरपाया और उसकी वजह से लॉकडाउन की शृंखला शुरू हुई। इसने रोजगार, बचत और लाखों लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित किया है। फिर भी हम मई से आर्थिक रिकवरी में हरे रंग के साथ अंकुरण हुआ, जो हमने देखा भी है। धीरे-धीरे भारत ‘अनलॉक’ की ओर बढ़ा और लॉकडाउन से बाहर आया। मार्च के बाद से अभूतपूर्व आर्थिक मंदी को पलटना ही था, इसके लिए सरकार को प्रासंगिक आर्थिक और सामाजिक सुधारों के लिए उपाय करने को प्रेरित किया।
आर्थिक मंदी के बाद किए गए उपाय
किसी भी संकट की स्थिति में न्यूनतम अवरोधों के साथ सब कुछ वापस लाने के लिए विशेष आर्थिक उपायों की जरूरत होती है। सभी बाजारों में उत्पादकता वापस लाने के लिए दुनियाभर की सरकारें राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों के साथ आगे बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिकी सरकार ने मार्च में 2.7 ट्रिलियन डॉलर की प्रोत्साहन राशि की घोषणा की थी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बाद में वित्तीय उपायों के साथ लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की राशि दी। इसने बाजार की भावनाओं के साथ-साथ उद्योगों में सेक्टरल रीएडजस्टमेंट्स को भी बढ़ावा दिया।
इसी प्रकार, भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया, जिसके तहत वित्त मंत्रालय ने सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, और मौद्रिक प्रोत्साहन सहित एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की। भारत की बड़ी आबादी के कारण, लाखों मामले सामने आए। अब सौभाग्य से नए केस घट रहे हैं। जो उपाय किए गए उसके बीच अक्टूबर के 54.6 की तुलना में इस महीने कंपोजिट पीएमआई (परचेज मैनेजर्स इंडेक्स) 58.9 तक बढ़ाने में कारगर रहे।
आत्मनिर्भर भारत पहल के दो चरणों के माध्यम से सरकार ने अब तक विभिन्न योजनाओं के लिए 14.49 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया है। तीसरे चरण ने हाल ही में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त 2.65 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया है। इनके अलावा, आरबीआई ने 31 अक्टूबर, 2020 तक 12.71 लाख करोड़ रुपए तक के अपने वित्तीय उपायों की घोषणा की है। भारतीय अर्थव्यवस्था भले ही पहली तिमाही में लगभग -23% के संकुचन से गुज़री हो, लेकिन वर्तमान में यह उम्मीद से बेहतर 7.5% पर प्रदर्शन कर रही है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 के अंत तक 5% के करीब सकारात्मक शुद्ध विकास दर मिलेगी।
हालिया ट्रेंड्स, बाजार का पूर्वानुमान, और आगे की राह
वायरस के खिलाफ लड़ाई के संदर्भ में मॉडर्ना और फाइजर जैसी बायोटेक और फार्मा फर्मों की ओर से आई सकारात्मक खबरों ने बाजार की धारणा को बढ़ा दिया है। यह कुछ ऐसा है जिसने सभी को खुश करने का कारण दिया है। सफल वैक्सीन परीक्षणों के बाद कई शोधकर्ताओं ने ट्रायल्स में 90% से अधिक असरदार होने का दावा किया है, और वे अब संबंधित दवा एजेंसियों से अनुमोदन प्राप्त करने के कगार पर हैं। आधिकारिक दावों से संकेत मिलता है कि टीकाकरण वित्तीय वर्ष के अंत तक बड़े पैमाने पर उत्पादन और कार्यान्वयन के साथ जनवरी के अंत में शुरू हो सकता है।
वैक्सीन परीक्षणों, प्रोत्साहन पैकेजों और औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि पर समाचार बाजारों को मध्य और लंबे समय में प्रदर्शन करने के लिए बहुत जरूरी सहारा देंगे। हालांकि अस्थायी बाजार सुधारों के बारे में निवेशकों की ओर से कुछ सतर्क