नई दिल्ली: अमेरिकी (America) खुफिया एजेंसियों को पता लगा है कि – संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) में एक पोर्ट (Port) पर चीन (China) चुपके से एक मिलिट्री सुविधा तैयार करने में जुटा हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) मौजूदा समय में मिडिल ईस्ट (Middle East) में अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी है। ऐसे में ‘जो बाइडेन’ (Joe Biden) प्रशासन ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) सरकार को चेतावनी दी है कि संयुक्त अरब अमीरात में चीन की उपस्थिति दोनों देशों के संबंधों को खतरों में डाल सकती है। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा कई दौर की बैठकों और यात्राओं के बाद निर्माण काम को रोक दिया गया है।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी चेतावनियों का संबंध अबूधाबी की अमीराती राजधानी के पास एक बंदरगाह के एक साइट से है। अधिकारियों की मानें तो संयुक्त अरब अमीरात सरकार को पोर्ट पर चीनी सैन्य गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। हाल के वर्षों में मिडिल ईस्ट में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती ही जा रही है। अमेरिका दशकों तक इस इलाके में केंद्रीय भूमिका निभा चुका है। इजरायल का गठन, सऊदी से संबंध, इलाके में सैनिक जमा किए गए और हाल ही में अब्राहम समझौता आदि। जबकि, बीजिंग ने ट्रेड और वैक्सीन कूटनीति के जरिए इलाके में जगह बनाई है और सैन्य उपस्थिति के विस्तार में भी जुटा हुआ है।
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हाल के वर्षों में चीन ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है। मौजूदा समय में चीन संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर हैं। बीजिंग खाड़ी के तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। संयुक्त अरब अमीरात ने चीन की हुआवेई टेक्नोलॉजीज कंपनी के टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी अपनाया है। जबकि, अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि हुआवेई चीन सरकार के लिए जासूसी करती है। किन्तु, बीजिंग ने इस आरोप का खंडन किया है।
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रिपोर्ट बताती है कि – करीब एक वर्ष पहले ‘अबू धाबी’ से तक़रीबन 50 मील उत्तर में खलीफा बंदरगाह पर संदिग्ध चीनी गतिविधियों के संकेत दिखे थे। जिसके बाद से अमेरिकी अधिकारियों ने खुफिया रिपोर्ट्स जमा करनी आरम्भ कर दी थी। आरम्भ में बहुत ख़ास जानकारी नहीं मिल रही थी। किन्तु, सेटेलाइट इमेज के द्वारा और अन्य इंटेल के द्वारा अधिकारी इस परिणाम पर पहुंचे है कि – चीन बंदरगाह पर सैन्य स्थापना में जुटा हुआ है। इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने संयुक्त अरब अमीरात को समझाना शुरू किया और बताया कि इस साइट का मकसद मिलिट्री सेंट्रिक है। ऐसे में इस निर्माण को रोका जाना ज़रूरी है।
मामले को लेकर संयुक्त अरब अमीरात के वाशिंगटन दूतावास के प्रवक्ता ने बताया है कि – UAE और चीन के बीच किसी सैन्य अड्डे या किसी और तरह के बेस या पोस्ट को लेकर कभी कोई वार्ता या समझौता नहीं हुई है। और न की ऐसी कोई योजना है या इरादा है। सनद रहे कि – UAE अमेरिका के सबसे करीबी मध्य पूर्व सहयोगियों में से एक है, और दोनों देशों के बीच लंबे समय से व्यापार और सुरक्षा संबंध हैं। ऐसे में चीन की घुसपैठ अमेरिकी हितों के लिए खतरा बन गई है।
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