नई दिल्ली। बैलेंस्ड डाइट का अर्थ होता है संतुलित आहार। अब पोषक तत्वों का यह संतुलन कैसे कायम किया जाए, इसका निर्धारण हरेक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार अलग हो सकता है। इसलिए हरेक व्यक्ति की बैलेंस्ड डाइट अलग-अलग होती है, जिसमें सभी पोषक तत्वों का सही अनुपात और ज़रूरत पडऩे पर डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स का भी योगदान होता है। परंतु अगर आप सप्लीमेंट्स लेते है तो ये सोचकर लीजिए कि इसका प्रभाव कैसा होगा।
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अकसर देखा गया है कि बहुत से लोग बिना सही जानकारी के कोई भी लक्षण दिखने पर अपने ही आंकलन के अनुसार कैल्शियम और प्रोटीन के सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं, जिसके सेहत पर काफी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। बाज़ार में मौज़ूद मल्टी विटमिंस की बात करें तो उनकी कंपोज़ीशन और उनकी मात्रा दोनों पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है, क्योंकि बिना सलाह के लिए जाने बहुत से सप्लीमेंट्स के कंपोज़ीशन में उनकी मात्रा में कमी हो सकती है।
और व्यक्ति को केवल मानसिक संतुष्टि हो सकती है कि उसने सप्लीमेंट लेने शुरू कर दिए हैं। केवल डॉक्टर उन कैप्सूल्स की कंपोज़ीशन और व्यक्ति में उसकी कमी के अनुसार डोज़ निर्धारित कर सकता है। वहीं कैल्शियम के अत्यधिक सेवन के कारण पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि कैल्शियम का एक कैप्सूल खाने के लिहाज़ से भारी होता है।
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ऐसे में चक्कर आना, ब्लोटिंग, पेट खराब रहना जैसी समस्याएं नज़र आती हैं। इसके साथ-साथ महिलाओं में पीरियड्स का दर्द भी बढ़ सकता है। इसके कारण नसों और मस्तिष्क के संचालन में भी समस्याएं आ सकती हैं और किडनी में पथरी की समस्या का जोखिम हो सकता है। प्रोटीन के सेवन की यदि बात करें तो मुख्य बिंदु संतुलन बनाने का है। यह संतुलन है प्रोटीन के सेवन और व्यायाम का, क्योंकि प्रोटीन के सेवन के साथ व्यायाम का सही संतुलन न रखा जाए तो लिया गया अतिरिक्त प्रोटीन किडनी और लिवर में जमना शुरुर हो जाता है।
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