नई दिल्ली। पंजाब (Punjab) में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दांव पेंच का खेल शुरू हो चुका है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कैप्टन-सिद्धू के घमासान से डैमेज हुई सियासी जमीन को सही करने के लिए कांग्रेस ने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री बनाकर नया सियासी दांव चल दिया है। सूबे में अपनी विरोधी पार्टियों अकाली दल और आम आदमी पार्टी को हैरान कर दिया है। पंजाब में ये बदलाव चाहे सियासी मजबूरी के तौर पर हुआ हो लेकिन कांग्रेस ने चन्नी के सहारे पंजाब में बड़ा दांव चल दिया है। जानिेए कांग्रेस के इस दाव कें पीछे क्या है सियासी मायने।
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पंजाब का जातीय समीकरण
पंजाब के राज्य का हिस्सा तीन भागों में बंटा हुआ है। माझा , मालवा और दोआब। इन इलाकों में सभी प्रमुख जिले आते हैं। माझा में अमृतसर, पठानकोट, गुरदासपुर, तरनतारण जिले आते हैं। वहीं मालवा में जालंधर, पटियाला, मोहाली, भठिंडा, बरनाला, कपूरथला आदि जिले हैं। जबकि दोआब में फिरोजपुर, फाजिल्का, मानसा, रूपनगर, लुधियाना, पटियाला, मोहाली, बरनाला जिले अहम हैं। पंजाब में कुल कुल 57.69 फीसदी सिख, 38.59 फीसदी हिंदू, 1.9 फीसदी मुस्लिम, 1.3 ईसाई, अन्य में जैन और बुद्ध आदि हैं। ज्ञात हो कि 22 जिलों में से 18 जिलों में सिख बहुसंख्यक हैं, पंजाब में लगभग दो करोड़ वोटर हैं।
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दलित वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
देश में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित आबादी पंजाब में रहती है। यही वजह है कि कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर विपक्षी दलों को फिर से रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है। ऐसा पहली बार है जब एससी वर्ग पंजाब की सियासत के केंद्र में है। अब तक यहां दोनों प्रमुख सियासी दल शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस 18 फीसदी जट सिखों पर ही दांव लगाते रहे हैं। मगर इस बार सबकी नजर 32 फीसदी दलित वोट बैंक पर है। ऐसे में दलित मतदाताओं की भूमिका यहां काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
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पंजाब में वोटों का समीकरण बदलेगा
पंजाब में पहली बार दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया है। राज्य में अभी तक जाट व सिख ही मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति ने विपक्षी दलों को भी अपनी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे पहले अकाली दल ने 2022 चुनाव जीतने की स्थिति में दलित डिप्टी सीएम बनाने का वादा कर रखा है। तो वहीं दूसरी ओर भाजपा भी दलित चेहरे को सामने लाने की बात का जोर शोर से प्रचार कर रही है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से दलित मुख्यमंत्री बनाया जाना विपक्षी दलों को करारा जवाब माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चन्नी विपक्ष के हमलों और पार्टी की गुटबाजी से निपटने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।
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पंजाब में कुल 117 विधान सभा सीटें
पंजाब में कुल 117 विधान सभा सीटें हैं। अगर हम बात 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां से कांग्रेस को 77 सीट, आम आदमी पार्टी को 20 सीट , अकाली दल को 15 सीट, बीजेपी को 3 सीटें मिला था। जबकि लोक इंसाफ पार्टी को 2 सीटें मिली थी।