नई दिल्ली। कोरोना काल में भले ही राजधानी में रेस्टोरेंट (रेस्त्रां) खुल चुके हैं, लेकिन कारोबार पटरी पर लौटता नजर नहीं आ रहा है। रेस्टोरेंट से ग्राहक नदारद हैं, जिस कारण कारोबार 75 % तक गिर गया है। कोरोना के डर से लोग रेस्टोरेंट में खाने-पीने के लिए जाने से कतरा रहे हैं। साथ ही रेस्टोरेंट मालिकों को स्टाफ कर्मियों और महंगे होते खाद्य पदार्थ की समस्या से भी दोचार होना पड़ रहा है।
दिल्ली के ज्यादातर रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि सब्जी से लेकर दूसरे कच्चे माल के दामों में वृद्धि देखने को मिल रही है। आमदनी से ज्यादा खरीदारी की लागत बढ़ती जा रही है। सब्जी की कीमतें आसमान छू रही हैं। दाल सहित दूसरे खाद्य पदार्थ भी पहले की तुलना में काफी महंगे हो गए हैं। इसका असर रेस्टोरेंट में बिकने वाली चीजों की कीमतों पर भी पड़ता है। कोरोना के डर से पहले से बाजार में ग्राहक नहीं हैं।
रेस्टोरेंट में ग्राहक बैठकर खाने से कतराते हैं। पैकिंग को लेकर भी लोगों के बीच कोई ज्यादा रुचि नहीं है। इससे बिक्री न के बराबर है। बिना काम-धंधे के सभी प्रकार के बिल और कर का भुगतान करना पड़ रहा है।
कई पर लटका ताला
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की प्रबंधन समिति के सदस्य संतोष जिंदल बताते हैं कि 25 % रेस्टोरेंट का कारोबार रह गया है। दिल्ली में करीब 800 रेस्टोरेंट को शराब परोसने का लाइसेंस मिला हुआ है, लेकिन उसमें से लगभग 25 % ने लाइसेंस को रेन्यु नहीं कराया है, जिस कारण उन पर अब ताला लटक गया है। साथ ही रेस्टोरेंट मालिकों को ब्रांड वाली शराब भी बाजार में उपलब्ध नहीं है। उसकी आपूर्ति भी प्रभावित है।
कर्मचारियों का भी टोटा
पहाड़गंज में रेस्टोरेंट चलाने वाले हरीश कपूर बताते हैं कि जब सरकार ने रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति दी थी, तो उनके यहां पर कर्मचारी नहीं थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों को ट्रेन की टिकट भेजकर वापस बुलाया। लेकिन कुछ दिन काम करने के बाद अब वह यहां से चले गए हैं। रेस्टोरेंट संचालन के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं मिल रहा है। अगर कोई काम करने के लिए तैयार भी है तो उसे वेतन बढ़ाकर देना पड़ता है। आमदनी बिल्कुल नहीं रही है। यहां तक कि साफ-सफाई के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे।