नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का अपना एक महत्व है और इसको सभी अपने अपने हिसाब से मनाते है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी के साथ चंद्रदेव की पूजा करने से भक्तों की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है।
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ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि नदियों में स्न्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर कुछ पुण्यदायक कार्य हैं, जिनको करने से आपके जीवन के कष्ट दूर होंगे।
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन न करें ये काम-
. कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी से बहस न करें. साथ ही इस दिन किसी को अपशब्द भी न कहें. चाहे कोई भी वजह हो खुद को कंट्रोल करें।
. कार्तिक पूर्णिमा के दिन नॉनवेज और शराब का सेवन गलती से भी न करें. ऐसा करने से कई तरह के अशुभ फल मिलते हैं।
. इस दिन किसी असहाय या गरीब व्यक्ति अपमान न करें . क्योंकि इस दिन गरीबों और असहायों की मदद और उन्हें दान देने से शुभ फल मिलते हैं। और इस दिन नाखून और बाल नहीं काटें।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से, पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक।
कार्तिक पूर्णिमा का क्या है महत्व-
कार्तिक महीने का अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस साल 30 नवंबर, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के खास दिन पर जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है।